प्रस्तुत कहानी मोहन राकेश के द्वारा लिखी गई नई कहानी है|
नई कहानी के कहानीकारों में मोहन राकेश का स्थान अनुपम है | आपने हिन्दी कथा को आडम्बर, कृत्रिमता, सस्ती भावुकता और जुमले से अलग करके एक आत्मीय रिश्ता प्रदान किया। यही कारण है कि मोहन राकेश के कथा साहित्य में संवेदना की आधुनिकता है, अनुभव का खरापन है और सम्प्रेषण का यथार्थ आधार है।
राकेश के साहित्य का आधार जीवन के अनुभव हैं | डॉ. पुष्पा बंसल के अनुसार –“मोहन राकेश का संपूर्ण साहित्य उनके स्व को ही व्यक्त करता है | असली राकेश अपनी कृतियों में है |”
इस कहानी की आलोचना में विभिन्न विद्वानों के मतों का
संक्षिप्त संकलन प्रस्तुत किया गया है|
वारिस में वर्तमान समय का जीवन-बोध और मूल्यों को अभिव्यक्त किया है | जीवन के सत्य की नई दिशा खोजने का अच्छा प्रयास दिखाई देता है | जीवन के अनुभव को पूरी ईमानदारी के साथ प्रस्तुर करने का प्रयास किया गया है | परिवेश और संदर्भ के प्रति नया दृष्टीकोण दिखता है | आर्थिक पहलु पर प्रकाश डाला गया है |
अकेलापन,
त्रास, हताशा, घुटन आदि आधुनिक तत्तों का समावेश नजर आता है | कहानी में भारतीय जीवन की झलक दिखती है | नई संवेदना और चेतना को उजागर करके शिल्प को नया मोड़ दिया है | राकेश जी के शब्दों में-“मेरे लिए नई कहानी की दृष्टी अपने सन्दर्भों में रहकर उनके अंदर से अपने समय और परिवेश को आंकने की दृष्टी से है जो जो हर बार नए प्रयोग में यथार्थ को उसकी सजीवता में व्यक्त करने की एक नई कोशिश करती है |” इस तरह यह यथार्थ चेतना की कहानी है | इसकी रचना-पद्धति सहज और सांकेतिक है |
कहानी के पात्र यथार्थ और जीवंत लगते हैं |
पारिवारिक समबंधों का निर्देश करने वाली कहानी है |
वारिस कहानी का शीर्षक सांकेतिक और प्रतीकात्मक है |
मोहन राकेश की कहानियों की विषय-वस्तु जीवन का भोग हुआ यथार्थ है जो इस कहानी में भी झलकता है |
• अकेलेपन में जी रहे इंसान की कहानी है |
• कहानी में प्रस्तुत मास्टर जी के पात्र को आदर्श पात्र के रूप में प्रस्तुत किया है | इस पात्र में समर्पण भाव, कर्तव्यपरायण और विनम्र भाव दृष्टिगोचर होता है |
• अध्यापन के प्रति पूरी निष्ठा व् ईमानदारी की अभिव्यक्ति है |
• आम आदमी की आर्थिक विपन्नता और उसके अभावग्रस्त जीवन का रेखांकन है |
• महानगरीय परिवेश में अकेलेपन का बोध है |
• कथा-शिल्प का नया प्रयोग है |
• अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग अधिक दिखाई देता है |
• परंपरा व रूढ़ि से मुक्त नए रूप में रचना है |
• मुहावरों का प्रयोग सहजता से किया गया है |
• संवाद भास्वर (चमकीले) जीवन-मूल्यों का संकेत करते हैं |
• कहानी की भाषा सहज, सरल और तथ्य को स्पष्ट करने वाली भाषा का प्रयोग किया है | राकेश जी की कहानियों की भाषा विषयानुकूल, पात्रानुकूल और परिवेशानुकूल है | उसमें कृत्रिमता, आडंबरता, जटिलता और बोझिलपन का कहीं अहसास नहीं होता |
कहानी के कुछ गुण/विशेषताएँ
• जीवन का गहरा अनुभव
• यथार्थता का बोध
• अनुभव का अपनापन
• मौलिक अभिव्यक्ति