सूर्य के उदय तथा अस्त के बीच का का अंतराल
समय है | समय अजरामर है | वह हर दिन नया जन्म ग्रहण करता है | उदय व अस्त के बीच जो
कुछ भी घटित होता है उसे मनुष्य अपनी सुविधा के अनुसार समय के विभिन्न टुकड़ों में
विभाजित करता है | अनंत घटनाओं का चक्र लगातार चलता रहता है | संसार का यह वह चक्र
है जिसका स्वभाव परिवर्तन है | वह निरंतर नया रूप धारण करता है | पशु हो या
मनुष्य, लगातार इस चक्र में अपने आप को ढालने का प्रयास करते रहता है |
समय प्राकतिक है | वह मनुष्य द्वारा निर्मित नहीं है |
इसीलिए मनुष्य न् उसे रोक सकता है और न् ही उसे परिवर्तित कर सकता है | संसार के
हर जीव के लिए एक मर्यादित समय होता है | उसी समय में उसे अपने किसी भी कार्य को
संपन्न करने का सुनहरा अवसर प्राप्त होता है | समय कभी भी न् अच्छा होता है और न्
ही बुरा बल्कि हम इन्सान उसे अच्छा या बुरा करार देते हैं | कोई इन्सान अगर अच्छा
कर्म करता है तो उसके लिए अच्छा समय माना जाता है और कोई बुरा कर्म करता है तो उसका
बुरा समय माना जाता है | सच तो यह है कि इसमें दोष समय का नहीं बल्कि निर्धारित
समय का उपयोग करने वालों का है | हमें जरुरी है कि हम निश्चित समय में निश्चित
कार्य करें | विंस्टन चर्चिल इस सन्दर्भ में कहते हैं –“ It
is mistake to look too far ahead. Only one link of the chain of destiny can be
handled at a time.”
सूर्य के उदय व अस्त के बीच जो समय है उसमें भी हम अपनी
सुविधा के लिए कह सकते हैं कि भिन्न-भिन्न समय हैं | अगर कोई प्राकृतिक विपदा आ
जाती है तो उसमें किसी भी जीव का कोई दोष नहीं बल्कि प्रकृति का है | आपदा के घटित
होने पर या घटित होने के अहसास पर हम कहते हैं कि आजकल समय ठीक नहीं चल रहा है |
परन्तु प्रकृति का स्वभाव परिवर्तन है | वह कभी भी और किसी भी रूप में परिवर्तित
हो सकती है | अगर हम समय को अपने जीवन के साथ मर्यादित करके देखते हैं तो हमें
ध्यान रखना पड़ेगा कि प्रकृति में मनुष्य की निर्मिति अदभुत, चमत्कारी एवं अनमोल है
| इसीलिए हमें समय के अनुसार चलना होगा | शेक्सपियर ने सही कहा है –“ पृथ्वी एक
रगमंच है और हम सब उस मंच के कलाकार हैं |” अपने प्राप्त समय में हम कैसा अभिनय
करते हैं यह हम पर ही निर्भर है | वास्तव में हमारा सम्पूर्ण जीवन एक सुंदर अभिनय
है |
मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि हमें समय के साथ चलकर सदैव खुश
व सतर्क रहना चाहिए क्योंकि किसी भी समय का कोई निचित समय नहीं होता है |